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वाहन तथा प्रवास
पहले दौडधूप भरे जीवन मे हमे वाहनों की बडी जरुरत होती है | हर जगह हमे निर्धारित समय के अंदर पहुंचना होता है | इसलिए शहरों मे हमे स्वयंचलित वाहन आवश्यक बन जाते है तो महानगरों मे हम पब्लिक ट्रान्स्पोर्टपर निर्भर होते है | जैसे जैसे उम्र बढती है और धंदा या व्यवसायकी दौडधूप कम होती है तो अपना वाहन इस्तेमाल करने की प्रवृत्ती तो बढ जाती है लेकिन वाहन को चलाने के लिए चालक की आवश्यकता होती है | यदि चालक रखना अपनी आर्थिक स्थिती के अनुसार संभव न हो या उसके लिए पर्याप्त काम न हो तो ola, uber जैसे विकल्पोंका चयन किया जा सकता है | उम्र के हिसाबसे नजर की शक्ती क्षीण होने लगती है | इसलिए जहांतक हो सके वाहन चलाना टाल देना चाहिए | प्रवास के विषय मे भी यही कहना होगा कि इस उम्र मे जितना आवश्यक हो उतना ही प्रवास करना चाहिए | जहांतक हो सके अकेले प्रवास न करें | साहस के उपक्रमों मे सहयोग भी कम करना चाहिए | इस उम्र मे हड्डियां निर्बल हो जाती है और जख्म भी जल्दीसे ठीक नही होते | इसलिए प्रवास अपनी शारीरिक स्थिती को देखते हुए ठीक होगा या नही इस बातका निर्णय लेना चाहिए |
   
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