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अपनी वसियत बनाकर रखना
अपने पश्चात अपनी अर्जित अचल संपत्ती, जंगम संपत्ती, विभिन्न स्थानों पर जमा की हुई रोकडा धनराशी, गहने इन सबका क्या किया जाये इसे लिखित रूप मे तैयार करने को कहते है अपनी वसियत अथवा अपना इच्छापत्र | इस इच्छापत्र के द्वारा हमे अपने बचे हुए जीवन के लिए उचित व्यवस्थापन करना अति आवश्यक होता है | चाहे आप संपूर्ण संपत्ती के मालिक हों फिर भी कई परिस्थितीयों मे आप उसका उपभोग करने मे असमर्थ सिद्ध हो सकते हो | हमे अपने परिवारसे बडा ही लगाव होता है | कई लोक अपने प्रेम की खातिर या कानूनी झंझटों से बचने के लिए अपनी अचल संपत्ती अपने परिवार के सदस्यों के नाम कर देते है | किंतु संपत्ती का कुछ हिस्सा अपने नामपर होना जरुरी होता है चाहे आपके पश्चात वह अपने परिवार को मिलने का प्रावधान किया जा सकता है | उसी तरह सभी बैंकों के खाते, डिमॅट खाते या अन्य संपत्ती को किसी के नाम नही करना चाहिए| उसका कुछ हिस्सा हमे अपने नामपर रखनाही चाहिए | चाहे आप उसके लिए किसी नॉमिनी का इंतजाम कर सकते हो | आप अपने इच्छापत्र मे लिखते हो कि आपके पश्चात आपकी इस संपत्ती का क्या किया जाये | नॉमिनी के बारेमे एक बात ध्यान रहे कि चाहे कोई व्यक्ती बैंक खाते के लिए नॉमिनी हो लेकिन वह सारी संपत्ती का मालिक नही बन सकता | इसलिए आपको अपने इच्छापत्र मे यह बात स्पष्ट रूपसे लिखनी चाहिए | यदि ऐसा न किया गया तो उस संपत्ती पर सभी उत्तराधिकारीयों का अधिकार होता है | यदि कोई महत्वपूर्ण घटना घटित हो जाये या स्थावर संपत्ती मे कुछ बदलाव हो जाये तो इच्छापत्र फिरसे बनाया जा सकता है | इच्छापत्र के विषय मे जानकारी आप ज्ञानगुफा से प्राप्त कर सकते है | अपने इच्छापत्र के लिए आप व्यवस्थापक की नियुक्ती कर सकते है | उस व्यवस्थापक का कार्य यही होता है कि इच्छपत्र की शर्तोंका पूर्ण रूप से पालन करना |
   
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