जब हम विवाह की बात करते है तो कानूनी बंधन भी साथ साथ होते है| कई बार एक दूजेकी भावनाएँ
एक दूजे को तकलीफ देनेवाली बन जाती है| इसलिए यदि दोनों की सहमति हो तो दोनों का साहचर्य
संभव हो सकता है | इससे साहचर्य के लाभ तो मिलते ही है लेकिन किसी तरह के किसी बंधन
का कोई भय नही रहता | इस बातका उलटा असर भी हो सकता है | जरासी अनबन पर ऐसे जोडे फिरसे
एक दूजेसे अलग हो जाते है |
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