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उपनिवेश तथा सहनिवास :

हर मनुष्य का कोई न कोई जीवनसाथी होता है | साथ साथ बच्चे, करीबी रिश्तेदार होते है | जैसे जैसे उम्र बढने लगती है उसी तरह बच्चे अलग होने लगते है | बेटियां शादी होकर अपने अपने ससुराल चली जाती है और बेटे नौकरी या व्यवसाय के लिए आपसे दूर किसी अन्य स्थानपर या परदेस चले जाते है | उसके बाद अकेलापन सताने लगता है | इस हालत मे भी पती-पत्नी का एक दूजे को साथ होता है | उनके रिश्तेमे कुछ बिगाड होजाये या दोनोंमेसे किसी एक की मृत्यू हो जाये तो व्यक्ति को अकेले जीने की नौबत आन पडती है | जिस तरह बची हुई जिंदगी मे हमे धन की आवश्यकता होती है उसी तरह अच्छे निरोग शरीर तथा प्रकृती की भी आवश्यकता होती है | उसी तरह किसी के साहचर्य की भी उतनीही आवश्यकता होती है | यह साहचर्य कुछ घंटों का नही होता बल्कि लंबे समय के लिए होता है| इस साहचर्य के कुछ प्रकार निम्नलिखित होते है


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